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आँवला
अंग्रेजी नाम - Gooseberry
संस्कृत नाम - अमलाकी
वानस्पतिक नाम - Phyllanthus Emblica
आँवला प्रकृति की एक बेहतरीन देन है और ये आंवला विटामिन 'C' का सबसे समृद्ध स्रोत होता है। सुबह खाली पेट आंवले का सेवन करना सबसे अच्छा होता है।
आंवला का सेवन किसी भी रूप में किया जा सकता है जैसे: हरा कच्चा आँवला, आँवले का रस, सूखे आँवले का पाउडर (चूर्ण ), सूखे आँवले की कैंडी (इसे चाशनी के घोल से तैयार किया जाता है), आँवले का मुरब्बा व अचार के रूप में किया जा सकता है। आंवला विटामिन 'C’ का एक पावर पैक है जो नियमित रूप से सेवन करने पर हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को विकसित करता है। रोगप्रतिरोधक क्षमता आपके स्वास्थ्य की रक्षा करती है व आपको कई बीमारियों से बचाए रखती है ।
आँवले दो प्रकार के होते हैं, एक ग्राफ्टेड आंवला जो दो साल बाद फल देने के लिए तैयार हो जाता है जबकि बीजों से तैयार आँवले के पौधे पांच साल में फल देने लगते हैं। आंवला का पेड़ बीस से पच्चीस फीट की ऊंचाई तक और व्यास 6 - 12 इंच तक होता है।
आँवले फरवरी और मार्च के में महीने में तैयार हो जाते हैं है।
आंवले के पौधे की चार किस्में हैं बनारसी, NA 7, कंचन और चकैया।
आँवला हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण को रोकता है।
कच्चे आंवले का सेवन करने से न केवल आपके इम्यून सिस्टम की सेहत सुधरती है बल्कि इसका भरपूर फाइबर आपको कब्ज से छुटकारा दिलाता है, आंखों की रोशनी बढ़ाता है, बालों का रंग काला रखता है और आपकी त्वचा जवां दिखती है।
आंवले का रस आंखों की रोशनी बढ़ाने का एक अच्छा टॉनिक है, आँवला रक्त को शुद्ध करता है, आँवले का तेल बालों का असमय सफ़ेद होना रोकता है, और साथ ही आँवले का सेवन शरीर में जमा वसा को कम करने में भी सहायक है।
आयुर्वेद में आंवला का उपयोग ज्यादातर आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है।
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